रक्षाबंधन उत्सव

भारत माता की जय

Sunday, 11 December 2016

Ram Nam Sukhdai

भज मन राम चरण सुखदाई ,भजन कर भाई ये दुनियां दो दिन की 

अर्थात श्री राम जी कमलवत चरण सदा सर्वदा सुखों के देने वाले है, हे भाई श्री राम नाम को भज यह महामंत्र है क्योंकि राम नाम सभी सुखों ( दैहिक , दैविक और भौतिक ) प्रदान करने वाला है। श्री  तुलसीदास जी महाराज श्री रामचरित मानस में कहते है:-
नाम मनि दीप धरु जीह देहरीं द्वार ।
तुलसी भीतर बाहरेहूँ जौं चाहसि उजियार ।।

यदि तू भीतर और बाहर दोनों ओर उजाला चाहता है तो मुखरूपी द्वार की जीभरूपी देहली पर राम नाम रूपी मणि दीपक को रख । राम नाम मणि है । राम नाम परम श्रेष्ठ है । 

अतः श्री राम नाम को भजन चाहिए जो सभी सुखों को देने वाला है क्योकि यह सृस्टि नाशवान है।  
इसलिए कहते है ;- भज मन राम चरण सुखदाई
जन्म और मृत्यु ,यही है दो अटल सत्य।जन्म होगा तो मृत्यु निश्चित है। जन्म और मृत्यु के बीच के समय को जीवन की संज्ञा दी गई है। इस प्रकार जन्म ,जीवन और मृत्यु ,यही है कहानी हर जीव की।

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जय जय श्री सीताराम

Monday, 15 February 2016

देशद्रोही को सबक

भारत देश में आज कुछ राष्ट्र विरोधी शक्तियां उभर कर सामने आ रही है जो अपने निजी स्वार्थ के लिए देश को खंडित करने का कुत्सित प्रयास कर रही है।  यह ऐसी शक्तियां है जो विदेशी आतंकियों से गुप्त रूप में समर्थित है।  इनकी पहचान करना बहुत जरुरी है , इसके लिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को इसके मूल में जाकर कौन देशद्रोही जे एन यु में हिंदुस्तान विरोधी नारे लगाने के प्रेरित किया और कौन कौन इन आतंकियों से  मिला है।

भारत सरकार से अनुरोध है कि इन दुष्ट राष्ट्रद्रोहियों के ऊपर समुचित कार्यवाही एवं सजा सुनिश्चित करे।

जय हिन्द
जय भारत
जय हिंदुस्तान
जय सनातन धर्म
सनातन धर्म प्रहरी
राकेशुक्ला शास्त्री  

Sunday, 14 February 2016

अपनी संस्कृति अपना समाज

नमस्कार ,
                  आज कल हिन्दू समाज में पश्चिमी सभ्यता इतना हावी है की हम अपने किसी भी पौराणिक त्यौहार , पूजा , समारोह में पश्चिमी सभ्यता का इतना अंधानुकरण कर रहे है की हम अपनी परम्परां को जैसे भूल गए है।

आज कल पूरा हिन्दू समाज माँ सरस्वती जी की पूजा लोग बड़ी श्रद्धा से मना रहे है। आज विसर्जन था , एक तरफ सडको पर ट्रक पर माँ सरवती की मूर्ति है तो दूसरी तरफ डी जे  साउंड पर फूहड़ गीत बज रहे है।

हमारा सिर्फ यह ब्लॉग लिखने का मात्र यही उद्देश्य है की हम अपनी सनातन परंपरा को उचित ढंग से निभाए नहीं तो एक कहावत है " अगर किसी राष्ट्र को नष्ट करना हो तो उसकी संस्कृति और आहार को बिगड़ दो। "
शायद हमारे भारत वर्ष में आज तक यही होता आया है।

हम श्री राम और कृष्ण को संतान है हम कहा भटक गए है।  
जागो अपने आप को पहचानो , हम आर्य संतान है।

सनातन धर्म प्रहरी
राकेशुक्ला  शास्त्री

तुलसीदास

  “पन्द्रह सौ चौवन विसे कालिन्दी के तीर । श्रावण शुक्ला सप्तमी , तुलसी धरयो शरीर||" तुलसीदास का जन्म उत्तर प्रदेश के बांदा...