रक्षाबंधन उत्सव

भारत माता की जय

Sunday, 14 February 2016

अपनी संस्कृति अपना समाज

नमस्कार ,
                  आज कल हिन्दू समाज में पश्चिमी सभ्यता इतना हावी है की हम अपने किसी भी पौराणिक त्यौहार , पूजा , समारोह में पश्चिमी सभ्यता का इतना अंधानुकरण कर रहे है की हम अपनी परम्परां को जैसे भूल गए है।

आज कल पूरा हिन्दू समाज माँ सरस्वती जी की पूजा लोग बड़ी श्रद्धा से मना रहे है। आज विसर्जन था , एक तरफ सडको पर ट्रक पर माँ सरवती की मूर्ति है तो दूसरी तरफ डी जे  साउंड पर फूहड़ गीत बज रहे है।

हमारा सिर्फ यह ब्लॉग लिखने का मात्र यही उद्देश्य है की हम अपनी सनातन परंपरा को उचित ढंग से निभाए नहीं तो एक कहावत है " अगर किसी राष्ट्र को नष्ट करना हो तो उसकी संस्कृति और आहार को बिगड़ दो। "
शायद हमारे भारत वर्ष में आज तक यही होता आया है।

हम श्री राम और कृष्ण को संतान है हम कहा भटक गए है।  
जागो अपने आप को पहचानो , हम आर्य संतान है।

सनातन धर्म प्रहरी
राकेशुक्ला  शास्त्री

No comments:

तुलसीदास

  “पन्द्रह सौ चौवन विसे कालिन्दी के तीर । श्रावण शुक्ला सप्तमी , तुलसी धरयो शरीर||" तुलसीदास का जन्म उत्तर प्रदेश के बांदा...