।। भजन ।।
कटी जैइहै उमरिया हरी गुण गाएं से ।
हरी गुण गाएं से , प्रभु गुण गाएं से ।।
हरी गुण गाएं से , प्रभु गुण गाएं से ।।
ऋषियों, मुनियों,संतों, महंतों तथा प्रभु प्रेमी भक्तों द्वारा हरी भजन ,कीर्तन करने पर विशेष महत्व बताया गया है।
भजन सुगम संगीत की एक शैली है। इसका आधार शास्त्रीय संगीत या लोक संगीत हो सकता है। इसको मंच पर भी प्रस्तुत किया जा सकता है लेकिन मूल रूप से यह किसी देवी या देवता की प्रशंसा में गाया जाने वाला गीत है। सामान्य रूप से उपासना की सभी भारतीय पद्धतियों में इसका प्रयोग किया जाता है। भजन मंदिरों में भी गाए जाते हैं। हिंदी भजन, जो आम तौर पर हिन्दू अपने सर्वशक्तिमान को याद करते हैं ,गाते हैं । कुछ विख्यात भजन रचनाकारों की नाम इस प्रकार है - मीराबाई , सूरदास, तुलसीदास और रसखान आदि हैं ।
भजन -कीर्तन करने से क्या होता है और इसे किस प्रकार करना चाहिए ? गोस्वामी जी कहते हैं कि आप भक्ति का कोई भी मार्ग अपनाएं , उसे श्रीनाम कीर्तन के संयोग से ही करें। इसका फल अवश्य प्राप्त होता है और शीघ्र प्राप्त होता है। सब कहते हैं कि भगवान का भजन करो.....भजन करो! तो क्या करें हम भगवान का भजन करने के लिए ? सच्चे भक्तों के संग हरिनाम संकीर्तन करना ही सर्वोत्तम भगवद भजन है। सच्चे भक्तों के साथ मिलकर , उनके आश्रय में रहकर नाम- संकीर्तन करने से एक अद्भुत प्रसन्नता होती है , उसमें सामूहिकता होती है , व्यक्तिगत अहंकार नहीं होता और उतनी प्रसन्नता अन्य किसी भी साधन से नहीं होती , इसीलिए इसे सर्वोत्तम हरिभजन माना गया है।
।। जय श्री हरि ।।
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