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Thursday, 4 July 2019

अहम् ब्रह्मस्मि

अहम् ब्रह्मास्मि भारत के पुरातन हिंदू शास्त्रों व उपनिषदों में वर्णित चार महावाक्यों में से एक है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - "मैं ब्रहम हूँ।"

गीता में भगवान श्री कृष्ण स्वयं कहते हैं - सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टो मतलब कि मैं सभी प्राणीयों के दिल में बसता हूँ। "अहं ब्रह्मास्मि" ये वाक्य मानव को महसूस कराता है कि जिस भगवान ने बड़े-बड़े सागर, पर्वत, ग्रह, ये पुरा ब्रह्मांड बनाया उस अखंड शक्तिस्रोत का मैं अंश हूँ तो मुझे भी उसका तेजोंऽश मुझमे भी जागृत कर उसका बनने का प्रयत्न करना चाहिए। तभी उसकी नैतिक उन्नति की शुरूवात हो जाती है। अहं ब्रह्मास्मि - यजुर्वेदः बृहदारण्यकोपनिषत् अध्याय 1 ब्राह्मणम् 4 मंत्र

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