।। श्री गणेशाय नमः ।। ।। श्री परमात्मने नमः ।।
।। जय जय श्री राम ।।
श्रीगणपति श्रीगुरु नमो, नमो कवीश कपीस।
सब सन्तों के चरण में, नवा रहा हूँ शीश।।
उमा-शम्भु में जिस तरह हुआ रुचिर संवाद।
पहले उसी प्रसंग का, करना है अनुवाद।।
भारत में विख्यात है-सुन्दर गिरि कैलास।
गिरिजापति गिरिजा-सहित करते जहाँ निवास।।
उस तपोभूमि पर एक दिवस वट के नीचे बैठे हर थे।
सच्चिदानन्द के चिन्तन में एकाग्रचित भूतेश्वर थे।।
भगवान् त्रिलोचन के समीप भगवती उमा थी भ्राज रही।
मानों दाएँ हों परम पुरुष, बाएँ-दिशि प्रकृति विराज रही।।
खुली जभी योगेश की, वह समाधि अविराम।
मुख से निकला शब्द यह-‘जय मायापति राम’।।
राम नाम सिव सुमिरन लागे। जानेउ सतीं जगतपति जागे॥
जाइ संभु पद बंदनु कीन्हा। सनमुख संकर आसनु दीन्हा॥
शिवजी रामनाम का स्मरण करने लगे, तब सतीजी ने जाना कि अब जगत के स्वामी (शिवजी) जागे। उन्होंने जाकर शिवजी के चरणों में प्रणाम किया। शिवजी ने उनको बैठने के लिए सामने आसन दिया॥
गिरी गिरिसुता चरण में, तभी जोड़करहाथ।
पूर्व जन्म की यादकर, बोल उठीं-‘हे नाथ’।।
यह मायापति हैं राम कौन ? जिनकी इतनी धुन है मन में ?
क्या वही जानकी-जीवन हैं, जो व्याकुल बिचरे हैं वन में ?
।। जयतु सनातन धर्मः ।।
।। जय श्री राम।।
।। जय जय श्री राम ।।
श्रीगणपति श्रीगुरु नमो, नमो कवीश कपीस।
सब सन्तों के चरण में, नवा रहा हूँ शीश।।
उमा-शम्भु में जिस तरह हुआ रुचिर संवाद।
पहले उसी प्रसंग का, करना है अनुवाद।।
भारत में विख्यात है-सुन्दर गिरि कैलास।
गिरिजापति गिरिजा-सहित करते जहाँ निवास।।
उस तपोभूमि पर एक दिवस वट के नीचे बैठे हर थे।
सच्चिदानन्द के चिन्तन में एकाग्रचित भूतेश्वर थे।।
भगवान् त्रिलोचन के समीप भगवती उमा थी भ्राज रही।
मानों दाएँ हों परम पुरुष, बाएँ-दिशि प्रकृति विराज रही।।
खुली जभी योगेश की, वह समाधि अविराम।
मुख से निकला शब्द यह-‘जय मायापति राम’।।
राम नाम सिव सुमिरन लागे। जानेउ सतीं जगतपति जागे॥
जाइ संभु पद बंदनु कीन्हा। सनमुख संकर आसनु दीन्हा॥
शिवजी रामनाम का स्मरण करने लगे, तब सतीजी ने जाना कि अब जगत के स्वामी (शिवजी) जागे। उन्होंने जाकर शिवजी के चरणों में प्रणाम किया। शिवजी ने उनको बैठने के लिए सामने आसन दिया॥
गिरी गिरिसुता चरण में, तभी जोड़करहाथ।
पूर्व जन्म की यादकर, बोल उठीं-‘हे नाथ’।।
यह मायापति हैं राम कौन ? जिनकी इतनी धुन है मन में ?
क्या वही जानकी-जीवन हैं, जो व्याकुल बिचरे हैं वन में ?
।। जयतु सनातन धर्मः ।।
।। जय श्री राम।।
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