।। श्री गणेशाय नमः ।। ।। श्री परमात्मने नमः ।। ।। अष्ट चिरंजीवी ।।
अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषण:।
कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
अर्थात इन आठ लोगों (अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि) का स्मरण सुबह-सुबह करने से सारी बीमारियां समाप्त होती हैं और मनुष्य 100 वर्ष की आयु को प्राप्त करता है।
प्राचीन मान्यताओं के आधार पर यदि कोई व्यक्ति हर रोज इन आठ अमर लोगों (अष्ट चिरंजीवी) के नाम भी लेता है तो उसकी उम्र लंबी होती है।
१. हनुमान : इन्हे कौन नही जानता | कलियुग में सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता श्री बालाजी महाराज पवन पुत्र थे | इनके पिता का नाम केसरी और माँ अंजना थी | परम राम भक्त और लक्ष्मण के प्राण दाता श्री हनुमान जी असुरो और राक्षको के संगारक थे |
२. कृपाचार्य : यह गौतम ऋषि के पुत्र थे और महाभारत काल में पांडवो और कौरवो के गुरु थे |
३. अश्वथामा : यह महाभारत युग में जन्मे शिव के ही अंश अवतार कहलाये | ये गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे और कौरवों के साथ मिलकर पांडवो के विरुद्ध लड़े थे । यह स्वभाव से उग्र और क्रोधी थे | श्री कृष्ण के श्राप के कारण ही यह युगों युगों तक भटक रहे है |
४. ऋषि मार्कण्डेय : यह शिवजी के अनन्य भक्त थे और इन्होने भगवान शिव के परम मंत्र महामृत्युंजय मंत्र सिद्धि के कारण ही चिरंजीवी बन गए |
५. विभीषण: लंका पति रावण के छोटे भाई हैं विभीषण। दैत्य होने के बाद भी यह अपने भाई के विरुद्ध श्री राम के अनन्य भक्त थे | लंका में ही राम भक्ति किया करते थे | इन्हे भजनों को सुनकर हनुमान इनसे मिले और फिर इन्हे अपने साथ श्री राम जी के पास ले गये | श्री राम ने लंका विजय पर इन्हे ही लंका के राजा बनाया |
६. राजा बलि : राजा बलि भक्त प्रहलाद के वंशज हैं। इन्ही के कारण भगवान विष्णु को वामन अवतार लेना पड़ा था । उन्होंने तीन पग भूमि मांगकर त्रिलोक इनसे दान में ले लिया था | यह महादानी थे | इसी कारण यह विष्णु के अति प्रिय थे | विष्णु भगवान ने इन्हे पाना द्वारपाल भी नियुक्त कर दिया था |
७. ऋषि व्यास : हिन्दू धर्म में धार्मिक ग्रंथो में इनके सबसे अधिक ग्रन्थ है | इन्होने 18 महापुराण लिखे है साथ ही साथ चरणों वेदों का संपादन भी क्या है | इनके पिता ऋषि पाराशर और माता का नाम सत्यवती था । सावले रंग के होने से यह कृष्ण द्वैपायन भी अपने अनुजो में कहलाए।
८. परशुराम : यह भगवान विष्णु के छठें अवतार हैं जिनके पिता ऋषि जमदग्नि और माँ रेणुका थीं। इनका जन्म सतयुग और त्रेता के मिलन पर हुआ था | यह ब्राह्मण है और अकेले खुद ने 21 बार इस धरती से निरंकुश क्षत्रिय राजाओं का अंत किया है | शिवजी की घोर तपस्या से इनके एक महाशक्तिशाली परशा मिला इसलिए इन्हे परशुराम के नाम से जाना जाता है
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