समाज में व्याप्त बुराईयों का समाधान, धर्म के साथ । अगर समाज धर्म की राह पर चलता है , बुराईयां अपने आप समाप्त हो जाती है। सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥ ।। जयतु सनातन धर्मः ।।
रक्षाबंधन उत्सव
भारत माता की जय
Sunday, 29 July 2018
Thursday, 26 July 2018
जय गुरूदेव
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुरेव परंब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
भावार्थ :- उस महान गुरु को अभिवादन, जो ब्रम्हा है, विष्णु और महेश है, प्रत्यक्ष परब्रम्ह, परमसत्य है।
गुरु पूर्णिमा आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. यह पूर्णिमा उन्हींं के सम्मान में मनाई जाती है.
श्री गुरु महिमा श्री स्कन्दपुराणांतर्गत शिव पार्वती संवाद !!
श्री महादेव उवाच
गुकारश्चान्धकारो हि रुकारस्तेज उच्यते !
अज्ञानग्रासकं ब्र्ह्मा गुरुरेव न संशय : !!
" गु " शब्द का अर्थ है अन्धकार अज्ञान और " रु " शब्द का अर्थ है प्रकाश ज्ञान । अज्ञान को नष्ट करनेवाला जो ब्रह्मरूप प्रकाश है वह गुरु है इसमें कोई संशय नहीं ।
गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व की आप सभी को बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं।
गुरुरेव परंब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
भावार्थ :- उस महान गुरु को अभिवादन, जो ब्रम्हा है, विष्णु और महेश है, प्रत्यक्ष परब्रम्ह, परमसत्य है।
गुरु पूर्णिमा आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. यह पूर्णिमा उन्हींं के सम्मान में मनाई जाती है.
श्री गुरु महिमा श्री स्कन्दपुराणांतर्गत शिव पार्वती संवाद !!
श्री महादेव उवाच
गुकारश्चान्धकारो हि रुकारस्तेज उच्यते !
अज्ञानग्रासकं ब्र्ह्मा गुरुरेव न संशय : !!
" गु " शब्द का अर्थ है अन्धकार अज्ञान और " रु " शब्द का अर्थ है प्रकाश ज्ञान । अज्ञान को नष्ट करनेवाला जो ब्रह्मरूप प्रकाश है वह गुरु है इसमें कोई संशय नहीं ।
गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व की आप सभी को बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं।
Sunday, 15 July 2018
तिलक और टीका
तिलक:-
आमतौर से तिलक अनामिका द्वारा लगाया जाता हैं और उसमे भी केवल चंदन ही लगाया जाता हैं तिलक संग चावल लगाने से लक्ष्मी को आकर्षित करने का तथा ठंडक व सात्विकता प्रदान करने का निमित्त छुपा हुआ होता हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति को तिलक ज़रूर लगाना चाहिए।
मान्यताओं के अनुसार सूने मस्तक को शुभ नहीं माना जाता। माथे पर चंदन, रोली, कुमकुम, सिंदूर या भस्म का तिलक लगाया जाता है। तिलक हिंदू संस्कृति में एक पहचान चिन्ह का काम करता है।
तिलक करने से व्यक्तित्व प्रभावशाली हो जाता है। दरअसल, तिलक लगाने का मनोवैज्ञानिक असर होता है क्योंकि इससे व्यक्ति के आत्मविश्वास और आत्मबल में भरपूर इजाफा होता हैं।
जिस वजह से मनुष्य का मन पूजा पाठ में लगा रहता है ।
टीका :-
टीका लगाने से कुंडली में आए किसी भी ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है और घर में सुख शांति बनी रहती है।
माथे पर टीका लगाने का वैज्ञानिक मह्त्व
टीका लगाने से वैज्ञानिक मानते हैं कि माथे की पिटयूटरी ग्लैण्ड्ज तेजी से सक्रिय होती है और शरीर से आलस्य भी दूर होता है।
योग करने से कई लोग टीका लगाते लगाते हैं क्योंकि टीका लगाने से एक जगह ध्यान लगाने में सहायता मिलती है। जिसे मेडिटेशन करने में आसानी होती है ।
माथे पर टीका लगाने की विभिन्न प्रथाएं
वैसे आपको बता दें भारत में हर जगह अलग अलग तरह से टीका लगाया जाता है जैसे साउथ में सफेद टीका माथे पर होरिजोंटल में लगाया जाता है। जबकि नार्थ इंडिया में लाल टीका कई जगह सीधा लगाया जाता है।
माथे पर टीका - तो शहरों में लोग गोलाकार में टीका लगाते हैं। वही पहाङी राज्यों में शादीशुदा महिलाओं के नाक से लेकर माथे से होते मांग तक टीका लगाया जाता है।
आमतौर से तिलक अनामिका द्वारा लगाया जाता हैं और उसमे भी केवल चंदन ही लगाया जाता हैं तिलक संग चावल लगाने से लक्ष्मी को आकर्षित करने का तथा ठंडक व सात्विकता प्रदान करने का निमित्त छुपा हुआ होता हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति को तिलक ज़रूर लगाना चाहिए।
मान्यताओं के अनुसार सूने मस्तक को शुभ नहीं माना जाता। माथे पर चंदन, रोली, कुमकुम, सिंदूर या भस्म का तिलक लगाया जाता है। तिलक हिंदू संस्कृति में एक पहचान चिन्ह का काम करता है।
तिलक करने से व्यक्तित्व प्रभावशाली हो जाता है। दरअसल, तिलक लगाने का मनोवैज्ञानिक असर होता है क्योंकि इससे व्यक्ति के आत्मविश्वास और आत्मबल में भरपूर इजाफा होता हैं।
जिस वजह से मनुष्य का मन पूजा पाठ में लगा रहता है ।
टीका :-
टीका लगाने से कुंडली में आए किसी भी ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है और घर में सुख शांति बनी रहती है।
माथे पर टीका लगाने का वैज्ञानिक मह्त्व
टीका लगाने से वैज्ञानिक मानते हैं कि माथे की पिटयूटरी ग्लैण्ड्ज तेजी से सक्रिय होती है और शरीर से आलस्य भी दूर होता है।
योग करने से कई लोग टीका लगाते लगाते हैं क्योंकि टीका लगाने से एक जगह ध्यान लगाने में सहायता मिलती है। जिसे मेडिटेशन करने में आसानी होती है ।
माथे पर टीका लगाने की विभिन्न प्रथाएं
वैसे आपको बता दें भारत में हर जगह अलग अलग तरह से टीका लगाया जाता है जैसे साउथ में सफेद टीका माथे पर होरिजोंटल में लगाया जाता है। जबकि नार्थ इंडिया में लाल टीका कई जगह सीधा लगाया जाता है।
माथे पर टीका - तो शहरों में लोग गोलाकार में टीका लगाते हैं। वही पहाङी राज्यों में शादीशुदा महिलाओं के नाक से लेकर माथे से होते मांग तक टीका लगाया जाता है।
Saturday, 14 July 2018
भारत माता की जय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार क्षार
डमरू की वह प्रलयध्वनि हूं जिसमे नचता भीषण संहार
रणचंडी की अतृप्त प्यास मै दुर्गा का उन्मत्त हास
मै यम की प्रलयंकर पुकार जलते मरघट का धुँवाधार
फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती मे आग लगा दूं मै
यदि धधक उठे जल थल अंबर जड चेतन तो कैसा विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै आज पुरुष निर्भयता का वरदान लिये आया भूपर
पय पीकर सब मरते आए मै अमर हुवा लो विष पीकर
अधरोंकी प्यास बुझाई है मैने पीकर वह आग प्रखर
हो जाती दुनिया भस्मसात जिसको पल भर मे ही छूकर
भय से व्याकुल फिर दुनिया ने प्रारंभ किया मेरा पूजन
मै नर नारायण नीलकण्ठ बन गया न इसमे कुछ संशय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै अखिल विश्व का गुरु महान देता विद्या का अमर दान
मैने दिखलाया मुक्तिमार्ग मैने सिखलाया ब्रह्म ज्ञान
मेरे वेदों का ज्ञान अमर मेरे वेदों की ज्योति प्रखर
मानव के मन का अंधकार क्या कभी सामने सकठका सेहर
मेरा स्वर्णभ मे गेहर गेहेर सागर के जल मे चेहेर चेहेर
इस कोने से उस कोने तक कर सकता जगती सौरभ मै
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै तेजःपुन्ज तम लीन जगत मे फैलाया मैने प्रकाश
जगती का रच करके विनाश कब चाहा है निज का विकास
शरणागत की रक्षा की है मैने अपना जीवन देकर
विश्वास नही यदि आता तो साक्षी है इतिहास अमर
यदि आज देहलि के खण्डहर सदियोंकी निद्रा से जगकर
गुंजार उठे उनके स्वर से हिन्दु की जय तो क्या विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
दुनिया के वीराने पथ पर जब जब नर ने खाई ठोकर
दो आँसू शेष बचा पाया जब जब मानव सब कुछ खोकर
मै आया तभि द्रवित होकर मै आया ज्ञान दीप लेकर
भूला भटका मानव पथ पर चल निकला सोते से जगकर
पथ के आवर्तोंसे थककर जो बैठ गया आधे पथ पर
उस नर को राह दिखाना ही मेरा सदैव का दृढनिश्चय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मैने छाती का लहु पिला पाले विदेश के सुजित लाल
मुझको मानव मे भेद नही मेरा अन्तःस्थल वर विशाल
जग से ठुकराए लोगोंको लो मेरे घर का खुला द्वार
अपना सब कुछ हूं लुटा चुका पर अक्षय है धनागार
मेरा हीरा पाकर ज्योतित परकीयोंका वह राज मुकुट
यदि इन चरणों पर झुक जाए कल वह किरिट तो क्या विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै वीरपुत्र मेरि जननी के जगती मे जौहर अपार
अकबर के पुत्रोंसे पूछो क्या याद उन्हे मीना बझार
क्या याद उन्हे चित्तोड दुर्ग मे जलनेवाली आग प्रखर
जब हाय सहस्त्रो माताए तिल तिल कर जल कर हो गई अमर
वह बुझनेवाली आग नही रग रग मे उसे समाए हूं
यदि कभि अचानक फूट पडे विप्लव लेकर तो क्या विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
होकर स्वतन्त्र मैने कब चाहा है कर लूं सब को गुलाम
मैने तो सदा सिखाया है करना अपने मन को गुलाम
गोपाल राम के नामोंपर कब मैने अत्याचार किया
कब दुनिया को हिन्दु करने घर घर मे नरसंहार किया
कोई बतलाए काबुल मे जाकर कितनी मस्जिद तोडी
भूभाग नही शत शत मानव के हृदय जीतने का निश्चय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै एक बिन्दु परिपूर्ण सिन्धु है यह मेरा हिन्दु समाज
मेरा इसका संबन्ध अमर मै व्यक्ति और यह है समाज
इससे मैने पाया तन मन इससे मैने पाया जीवन
मेरा तो बस कर्तव्य यही कर दू सब कुछ इसके अर्पण
मै तो समाज की थाति हूं मै तो समाज का हूं सेवक
मै तो समष्टि के लिए व्यष्टि का कर सकता बलिदान अभय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार क्षार
डमरू की वह प्रलयध्वनि हूं जिसमे नचता भीषण संहार
रणचंडी की अतृप्त प्यास मै दुर्गा का उन्मत्त हास
मै यम की प्रलयंकर पुकार जलते मरघट का धुँवाधार
फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती मे आग लगा दूं मै
यदि धधक उठे जल थल अंबर जड चेतन तो कैसा विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै आज पुरुष निर्भयता का वरदान लिये आया भूपर
पय पीकर सब मरते आए मै अमर हुवा लो विष पीकर
अधरोंकी प्यास बुझाई है मैने पीकर वह आग प्रखर
हो जाती दुनिया भस्मसात जिसको पल भर मे ही छूकर
भय से व्याकुल फिर दुनिया ने प्रारंभ किया मेरा पूजन
मै नर नारायण नीलकण्ठ बन गया न इसमे कुछ संशय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै अखिल विश्व का गुरु महान देता विद्या का अमर दान
मैने दिखलाया मुक्तिमार्ग मैने सिखलाया ब्रह्म ज्ञान
मेरे वेदों का ज्ञान अमर मेरे वेदों की ज्योति प्रखर
मानव के मन का अंधकार क्या कभी सामने सकठका सेहर
मेरा स्वर्णभ मे गेहर गेहेर सागर के जल मे चेहेर चेहेर
इस कोने से उस कोने तक कर सकता जगती सौरभ मै
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै तेजःपुन्ज तम लीन जगत मे फैलाया मैने प्रकाश
जगती का रच करके विनाश कब चाहा है निज का विकास
शरणागत की रक्षा की है मैने अपना जीवन देकर
विश्वास नही यदि आता तो साक्षी है इतिहास अमर
यदि आज देहलि के खण्डहर सदियोंकी निद्रा से जगकर
गुंजार उठे उनके स्वर से हिन्दु की जय तो क्या विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
दुनिया के वीराने पथ पर जब जब नर ने खाई ठोकर
दो आँसू शेष बचा पाया जब जब मानव सब कुछ खोकर
मै आया तभि द्रवित होकर मै आया ज्ञान दीप लेकर
भूला भटका मानव पथ पर चल निकला सोते से जगकर
पथ के आवर्तोंसे थककर जो बैठ गया आधे पथ पर
उस नर को राह दिखाना ही मेरा सदैव का दृढनिश्चय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मैने छाती का लहु पिला पाले विदेश के सुजित लाल
मुझको मानव मे भेद नही मेरा अन्तःस्थल वर विशाल
जग से ठुकराए लोगोंको लो मेरे घर का खुला द्वार
अपना सब कुछ हूं लुटा चुका पर अक्षय है धनागार
मेरा हीरा पाकर ज्योतित परकीयोंका वह राज मुकुट
यदि इन चरणों पर झुक जाए कल वह किरिट तो क्या विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै वीरपुत्र मेरि जननी के जगती मे जौहर अपार
अकबर के पुत्रोंसे पूछो क्या याद उन्हे मीना बझार
क्या याद उन्हे चित्तोड दुर्ग मे जलनेवाली आग प्रखर
जब हाय सहस्त्रो माताए तिल तिल कर जल कर हो गई अमर
वह बुझनेवाली आग नही रग रग मे उसे समाए हूं
यदि कभि अचानक फूट पडे विप्लव लेकर तो क्या विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
होकर स्वतन्त्र मैने कब चाहा है कर लूं सब को गुलाम
मैने तो सदा सिखाया है करना अपने मन को गुलाम
गोपाल राम के नामोंपर कब मैने अत्याचार किया
कब दुनिया को हिन्दु करने घर घर मे नरसंहार किया
कोई बतलाए काबुल मे जाकर कितनी मस्जिद तोडी
भूभाग नही शत शत मानव के हृदय जीतने का निश्चय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै एक बिन्दु परिपूर्ण सिन्धु है यह मेरा हिन्दु समाज
मेरा इसका संबन्ध अमर मै व्यक्ति और यह है समाज
इससे मैने पाया तन मन इससे मैने पाया जीवन
मेरा तो बस कर्तव्य यही कर दू सब कुछ इसके अर्पण
मै तो समाज की थाति हूं मै तो समाज का हूं सेवक
मै तो समष्टि के लिए व्यष्टि का कर सकता बलिदान अभय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
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