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Sunday, 15 July 2018

तिलक और टीका

तिलक:-
आमतौर से तिलक अनामिका द्वारा लगाया जाता हैं और उसमे भी केवल चंदन ही लगाया जाता हैं तिलक संग चावल लगाने से लक्ष्मी को आकर्षित करने का तथा ठंडक व सात्विकता प्रदान करने का निमित्त छुपा हुआ होता हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति को तिलक ज़रूर लगाना चाहिए।

मान्यताओं के अनुसार सूने मस्तक को शुभ नहीं माना जाता। माथे पर चंदन, रोली, कुमकुम, सिंदूर या भस्म का तिलक लगाया जाता है। तिलक हिंदू संस्कृति में एक पहचान चिन्ह का काम करता है।
तिलक करने से व्यक्त‍ित्व प्रभावशाली हो जाता है। दरअसल, तिलक लगाने का मनोवैज्ञानिक असर होता है क्योंकि इससे व्यक्त‍ि के आत्मविश्वास और आत्मबल में भरपूर इजाफा होता हैं।
जिस वजह से मनुष्य का मन पूजा पाठ में लगा रहता है ।
टीका :-
टीका लगाने से कुंडली में आए किसी भी ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है और घर में सुख शांति बनी रहती है।

माथे पर टीका लगाने का वैज्ञानिक मह्त्व

टीका लगाने से वैज्ञानिक मानते हैं कि माथे की पिटयूटरी ग्लैण्ड्ज तेजी से सक्रिय होती है और शरीर से आलस्य भी दूर होता है।

योग करने से कई लोग टीका लगाते लगाते हैं क्योंकि टीका लगाने से एक जगह ध्यान लगाने में सहायता मिलती है। जिसे मेडिटेशन करने में आसानी होती है ।

माथे पर टीका लगाने की विभिन्न प्रथाएं

वैसे आपको बता दें भारत में हर जगह अलग अलग तरह से टीका लगाया जाता है जैसे साउथ में सफेद टीका माथे पर होरिजोंटल में लगाया जाता है। जबकि नार्थ इंडिया में लाल टीका कई जगह सीधा लगाया जाता है।

माथे पर टीका - तो शहरों में लोग गोलाकार में टीका लगाते हैं। वही पहाङी राज्यों में शादीशुदा महिलाओं के नाक से लेकर माथे से होते मांग तक टीका लगाया जाता है।



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