।। श्री गणेशाय नमः ।। ।। श्री परमात्मने नमः ।। ।। जय श्री राम।।
अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः।
कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः॥
अर्थात् : अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम ये सभी चिरंजीवी हैं । जो इनको सच्चे मन से याद करता है, तो भाग्य और आयु में उसकी वृद्धि होती है।
श्रीमद् भगवत् पुराण के अनुसार आज भी हनुमान जी गंधमादन पर्वत पर निवास करते है। बतादें कि जब श्रीराम भूलोक से बैकुण्ठ को चले गए, तो हनुमान जी ने इस पर्वत पर अपना स्थान बना लिया।
वहीं पुराणों के अनुसार गंधमादन पर्वत महादेव के निवास स्थान कैलाश पर्वत के उत्तर में अवस्थित है। बतादें कि इस पर्वत पर महर्षि कश्यप ने तप किया था। और ऐसा कहा जाता है कि यहां पर हनुमान जी के अलावा गंधर्व, अप्सराओं किन्नरों, औऱ सिद्ध श्रषियों का भी निवास स्थान है। इस पर्वत की चोटी पर कोई वाहन नहीं जा सकता। सदियो पहले ये पर्वत कुबेर के राज्यक्षेत्र में था। लेकिन वर्तमान में यह तिब्बत की सीमा में है।
अज्ञातवास के समय हिमवंत पार करके पांडव गंधमादन के पास पहुचें थे। महाभारत के अनुसार एक बार भीम गंधमादन पर्वत पहुंचा था, यहां उन्हें हनुमान जी महाराज मिले थे। हनुमान जी ने कहा कि तुम मेरी पूछ हटा कर दिखा दो, भीम को अपनी बल पर अधिक घमंड था। लेकिन भीम से हनुमान जी की पूछ नहीं हटी थी।
ऐसा कहा जाता है, कि अर्जुन ने जब असम के तीर्थ में हनुमान जी से भेंट की थी, तो हनुमान जी भूटान या अरुणाचल के रास्ते ही असम तीर्थ आए होंगे।
।। जयतु सनातन धर्मः ।।
।। जय श्री राम ।।
।। जय श्री हनुमान।।
अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः।
कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः॥
अर्थात् : अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम ये सभी चिरंजीवी हैं । जो इनको सच्चे मन से याद करता है, तो भाग्य और आयु में उसकी वृद्धि होती है।
श्रीमद् भगवत् पुराण के अनुसार आज भी हनुमान जी गंधमादन पर्वत पर निवास करते है। बतादें कि जब श्रीराम भूलोक से बैकुण्ठ को चले गए, तो हनुमान जी ने इस पर्वत पर अपना स्थान बना लिया।
वहीं पुराणों के अनुसार गंधमादन पर्वत महादेव के निवास स्थान कैलाश पर्वत के उत्तर में अवस्थित है। बतादें कि इस पर्वत पर महर्षि कश्यप ने तप किया था। और ऐसा कहा जाता है कि यहां पर हनुमान जी के अलावा गंधर्व, अप्सराओं किन्नरों, औऱ सिद्ध श्रषियों का भी निवास स्थान है। इस पर्वत की चोटी पर कोई वाहन नहीं जा सकता। सदियो पहले ये पर्वत कुबेर के राज्यक्षेत्र में था। लेकिन वर्तमान में यह तिब्बत की सीमा में है।
अज्ञातवास के समय हिमवंत पार करके पांडव गंधमादन के पास पहुचें थे। महाभारत के अनुसार एक बार भीम गंधमादन पर्वत पहुंचा था, यहां उन्हें हनुमान जी महाराज मिले थे। हनुमान जी ने कहा कि तुम मेरी पूछ हटा कर दिखा दो, भीम को अपनी बल पर अधिक घमंड था। लेकिन भीम से हनुमान जी की पूछ नहीं हटी थी।
ऐसा कहा जाता है, कि अर्जुन ने जब असम के तीर्थ में हनुमान जी से भेंट की थी, तो हनुमान जी भूटान या अरुणाचल के रास्ते ही असम तीर्थ आए होंगे।
।। जयतु सनातन धर्मः ।।
।। जय श्री राम ।।
।। जय श्री हनुमान।।
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