।। श्री गणेशाय नमः ।। ।। श्री परमात्मने नमः ।।
* दैनिक सत्कर्म *
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आदरणीय मित्रों प्रातः काल माता, पिता, गुरु एवं ईश्वर का अभिवादन करना चाहिए। नित्य प्रातः काल निम्न श्लोकों का पाठ करने से बहुत कल्याण होता है। जैसे-
१. दिन अच्छा बीतता है।
२. दु: स्वप्न, कलिदोष, शत्रु,पाप और भव के भय का नाश होता है।
३.विष का भय नहीं होता।
४. धर्म की वृद्धि होती है,अज्ञानी को ज्ञान प्राप्त होता है।
५. रोग नहीं होता।
६. पुरी आयु मिलती है।
७. विजय प्राप्त होती है।
८. निर्धन धनी होता है।
९. भुख-प्यास और काम की बाधा नहीं होती है।
१०. सभी बाधाओं से छुटकारा मिलता है आदि ।
भगवत्प्रीत्यर्थ इन श्लोकों का पाठ करना चाहिए-
श्री गणेश स्मरण--
प्रातः स्मरामि गणनाथमनाथबंधु ,
सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्युग्मम् ।
उद्दडविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्ड-
माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवन्द्यम्।।
अनाथों के बंधु, सिंदूर से शोभायमान दोनों गण्डस्थलवाले, प्रबल विघ्न का नाश करने में समर्थ एवं इन्द्र आदि देवताओं से नमस्कृत श्री गणेश जी का मैं प्रातः काल स्मरण करता हूं।
विष्णु स्मरण--
प्रातः स्मरामि भवभीतिमहार्तिनाशं,
नारायणं गरूडवाहनमब्जनाभम्।
ग्राहाभिभूतवरवारणमुक्तिहेतुं,
चक्रायुधं तरूणवारिजपत्रनेत्रम् ।।
संसार के भय रूपी महान दु:ख को नष्ट करने वाले, ग्राह से गजराज को मुक्त करने वाले, चक्रधारी एवं नवीन कमलदल के समान नेत्र वाले, पद्मनाभ गरूड़ वाहन भगवान श्री नारायण का मैं प्रातः स्मरण करता हूं।
शिव स्मरण--
प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं,
गंगाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम् ।
खट्वांगशूलवरदाभय हस्तमीशं,
संसाररोगहरमौषधमद्वितियम्।।
संसार के भय को नष्ट करने वाले,देवेश,गंगाधर,वृषभ वाहन, पार्वती पति,हाथ में खट्वांग एवं त्रिशूल लिए और संसार रूपी रोग का नाश करने के लिए अद्वितीय औषध-स्वरूप,अभय एवं वर मुद्रा युक्त हाथ वाले भगवान शिव का मैं स्मरण करता हूं।
शेष क्रमशः :-
।। जयतु सनातन धर्मः ।।
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