आदरणीय मित्रों जीवन में सत्कर्म का बहुत बडा महत्व है। सत्कर्म के बारे में हमारे धार्मिक ग्रंथों में विस्तार से कहा गया है। जहां तक पढा और बडें बुजर्गों से सुना हुं वह अपने विवेक से कहता हुं।
कहते है कि जीवन में कुछ पाना है तो सुर्योदय से पहले बिस्तर का त्याग कर देना चाहिए । प्रातःकाल उठने के बाद स्नान से पहले जो आवश्यक विभिन्न कार्य है शास्त्रों ने उनके लिए सुनियोजित विघि विधान बताया है।
ब्रह्म मुहुर्त - सुर्योदय से चार घडी़ लगभग डेढ़ घंटे पुर्व में जग जाना चाहिए । इस समय सोना शास्त्रों में पुण्य का नाश करने वाला कहा गया है ।
करावलोकन - आंखों के खुलते ही दोनों हाथों की हथेलियों को देखते हुए पाठ करना चाहिए ।
कराग्रे वसते लक्छ्मीः करमध्ये सरस्वती ।
करमुले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते कर दर्शनम् ।।
अर्थात हाथ के आगे भाग मे लक्छ्मी , बीच मे सरस्वती और जड़ भाग में ब्रह्मा जी निवास करते है । अतः प्रातःकाल दोनों हाथों का दर्शन करना चाहिए।
भुमि-वंदना - बिस्तर से उठकर पृथ्वी पर पैर रखने के पहले पृथ्वी माता को प्रणाम करना चाहिए। पृथ्वी माता पर पैर रखने से पहले निम्न लिखित पाठ करना चाहिए।
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमंडिते ।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्श छमस्व मे ।
अर्थात समुद्र रुपी वस्त्रों को धारण करने वाली , पहाण रुपी स्तनों से मंडित भगवान विष्णु की पत्नी पृथ्वी देवि ! आप पैर स्पर्श करने के लिए क्षमा करें ।
शेष क्रमशः :-
।। जयतु सनातन धर्मः ।।
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