।। श्री गणेशाय नमः ।। ।। श्री परमात्मने नमः ।।
* दैनिक सत्कर्म *
तीसरी पोस्ट -
आदरणीय मित्रों प्रातः काल निम्न श्लोकों का पाठ करने से बहुत कल्याण होता है।
देवी स्मरण--
प्रातः स्मरामि शरदिन्दुकरोज्जवलाभां,
सद्रत्नवन्मकरकुण्डलहारभूषाम्।
दिव्यायुधोर्जितसुनीलसहस्त्रहस्तां,
रक्तोत्पलाभचरणां भवतीं परेशाम्।।
शरत्कालीन चन्द्रमा के समान उज्जवल आभावाली, उत्तम रत्नों से जटित मकरकुण्डलों तथा हाथों से सुशोभित,दिव्य आयुधों से दीप्त सुंदर नीले हजारों हाथों वाली, लाल कमल की आभा युक्त चरणों वाली भगवती दुर्गा देवी का मैं प्रातः काल स्मरण करता हूं।
सुर्य स्मरण--
प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं,
रूपं हि मण्डलमृचोअ्थ तनुर्यजूंषि।
सामनि यस्य किरणा: प्रभवादिहेतुं,
ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्।।
सुर्य का वह प्रशस्त रूप जिसका मण्डल ऋग्वेद, कलेवर यजुर्वेद तथा किरणें सामवेद है। जो सृष्टि आदि के कारण है, ब्रह्मा और शिव के स्वरूप है तथा जिनका रूप अचिंत्य और अलक्ष्य है, प्रातः काल मैं उनका स्मरण करता हूं।
त्रिदेवों के साथ नवग्रह स्मरण--
ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी,
भानु:शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरूश्च शुक्र: शनिराहुकेतव:
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ।।
ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सुर्य, चन्द्रमा, मंगल,बुध, बृहस्पति, शुक्र,शनि,राहु और केतु ये सब मेरे प्रातः काल को मंगलमय करें ।
शेष क्रमशः :-
।। जयतु सनातन धर्मः ।।
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